यादों के झरोखे भाग २२
डायरी दिनांक ०५/१२/२०२२
रात के आठ बजकर चालीस मिनट हो रहे हैं ।
अब सर्दी पहले की तुलना में ज्यादा पड़ रही है। हालांकि एक सच्चाई यह भी है अब पहले जैसी ठंड नहीं पड़तीं। अथवा संभव यह भी है उन दिनों हमारे पास सर्दी से बचने के इतने संसाधन नहीं थे। हाफ स्वेटर, फिर पतली जर्सी और फिर जर्सी के ऊपर एक और जर्सी, सब मिलकर जितनी ठंड से बचाते हैं , आज मात्र एक जर्कीन उससे ज्यादा ठंड बचा देती है। इनर ने हाफ स्वेटर और भीतर बाली जर्सी ही बंद करा दी हैं।
उस समय मैं बीएससी का विद्यार्थी था जबकि मैंने अपने जीवन की पहली जर्कीन पहनी। जाड़ों में सुबह सुबह ही पढाई के लिये शिकोहाबाद के लिये निकलना होता था। उस समय भी एक जर्कीन खरीदने में बड़ी मुश्किल हुई थी।
एक बार जनवरी के महीने में धूप देखते हुए मम्मी ने मेरा एकमात्र टोपा धो दिया। दुर्भाग्य की बात कि कपड़े धुलते ही बादल छा गये। और वह टोपा सूख नहीं पाया। फिर अगले दिन उसे अंगीठी की गर्मी में सुखाया जा रहा था। ऊनी टोपा अपेक्षाकृत अधिक उष्णता में एक तरफ सिकुड़ सा गया।
शायद मेरी समस्या है कि मैं प्रयास कर के भी अपने उन दिनों को भूल नहीं पाता हूँ। उस अतीत को याद रखना आवश्यक लगता है। किसी अन्य से तुलना करने के स्थान पर अपने ही अतीत से तुलना करना अच्छा लगता है। ऐसा करने पर मन में प्रसन्नता ही होती है। जबकि किसी अन्य अधिक संपन्न से तुलना मन को दुखी ही करती है।
गिरगिट को रंग बदलने बाला जीव कहा जाता है। ऐसा गिरगिट की त्वचा के एक विशेष तत्व के कारण होता है। जिस कारण गिरगिट वातावरण के अनुसार अपना रंग बदलता रहता है। सूखी लकड़ियों के पास उन लकड़ियों जैसे रंग का, मिट्टी में मटमेला, पत्तों के निकट हरे रंग का हो जाता है। ऐसा कर वह अपने शत्रुओं से अपनी रक्षा करता है।
वैसे रंग गिरगिट के अलावा दूसरे जंतु भी बदलते हैं। पर उनका रंग परिवर्तन धीमी प्रक्रिया है।
मनुष्यों में भी बहुत से ऐसे लोग होते हैं जो कि खुद को वातावरण के हिसाब से ढालते रहते हैं। ऐसे मनुष्यों से किसी को अधिक परेशानी नहीं होती। कुछ मनुष्य ऐसे भी होते हैं जो एक साथ बहुत सारे रूप रख लेते हैं। उनका यथार्थ रूप क्या है, कभी भी किसी को ज्ञात नहीं होता। ये वास्तव में वे लोग होते हैं जिनसे हर पल बचने का प्रयास करना चाहिये।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम ।
Peehu saini
06-Dec-2022 05:56 PM
Anupam 🌸👏
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Gunjan Kamal
06-Dec-2022 12:56 PM
👏👌🙏🏻
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Pratikhya Priyadarshini
05-Dec-2022 11:32 PM
Behtreen 💐
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